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RCB का सपना, बेंगलुरु का सदमा: जश्न में डूबी परेड कैसे बनी त्रासदी?"

 **"भाई, क्या मैच था वो!"**  

पूरे 16 साल का इंतजार खत्म! RCB ने आखिरकार अपना पहला IPL ट्रॉफी उठा ही लिया। पूरा बेंगलुरु झूम उठा... गली-गली में "एला स्कू, बेबे कू" गूंजने लगा। लेकिन ये जश्न **कुछ ही घंटों में सिसकियों में बदल गया**।  


**क्या हुआ था उस दिन?**  

- जीत की खुशी में 7 जून को M चिन्नास्वामी स्टेडियम से निकली ओपन-टॉप बस परेड।  

- लाखों फैंस सड़कों पर उमड़ पड़े... पूरे रास्ते भीड़ ही भीड़।  

- अचानक **मैजेस्टिक एरिया के पास भगदड़ शुरू हो गई**। लोग घबराकर एक-दूसरे पर गिरे... कुचले गए।  

- **नतीजा:** 11 बेगुनाह फैंस की मौत, दर्जनों घायल।  

**वायरल हुआ वो "प्रपोजल" वीडियो:**  

भगदड़ का मंजर शुरू होने से ठीक पहले, एक RCB फैन ने **भीड़ के बीच घुटने टेककर अपनी गर्लफ्रेंड को प्रपोज किया!** वीडियो तुरंत वायरल हुआ। लोग हैरान थे:  

> *"जहाँ एक तरफ लोग जान बचाने की जद्दोजहद में थे, वहीं दूसरी तरफ प्रेम का ये नज़ारा..."*  

**कोहली पर क्यों टूट रहा गुस्सा?**  

कुछ आंखें विराट कोहली पर टिकी थीं:  

- उनकी कार पर **"नज़र उतारने" के लिए नींबू-मिर्च** लटकाया गया (वीडियो ट्रेंड कर रहा है)।  

- लोग सवाल कर रहे हैं: *"क्या कप्तान होने के नाते भीड़ को कंट्रोल करने की अपील नहीं करनी चाहिए थी?"*  

- हालाँकि, ज्यादातर फैंस का कहना है: *"ये प्रशासन की नाकामी है, खिलाड़ी नहीं दोषी!"*  

**बड़ा सवाल: किसकी गलती?**  

1. **पुलिस व्यवस्था फेल:** इतनी बड़ी भीड़ का अनुमान होने के बावजूद बैरिकेडिंग नाकाफी थी।  

2. **स्टेडियम प्रबंधन:** क्या टिकट वाले फैंस ही परेड में शामिल होने चाहिए थे?  

3. **हम सबका रोमांच?** क्या जीत के नशे में हम सुरक्षा नियम भूल गए?  

**दुःख के बीच एक उम्मीद:**  

त्रासदी के बाद RCB टीम ने **11 लाख रुपये हर मृतक के परिवार** को देने का ऐलान किया है। लेकिन सवाल बना हुआ है:  

> *"क्या एक जान की कीमत सिर्फ 1 लाख होती है?"* 

### **अंतिम पंक्तियाँ (पाठकों को सोचने पर मजबूर करें):**  

"फुटबॉल में हिल्सबोरो त्रासदी ने दुनिया बदल दी। क्रिकेट के इतिहास में ये काला दिन हमें क्या सिखाएगा?  

**सच तो ये है:** आज बेंगलुरु रो रहा है... न जीत के लिए, न हार के लिए। बल्कि उन 11 चेहरों के लिए जो कभी घर नहीं लौटे।"  



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